इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन (IGDTUW) में कार्यरत सफाई कर्मचारी और सफाई कामगार यूनियन के कार्यकर्ता 18 अक्टूबर, सोमवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर एक दिन के नोटिस पर काम से निकाले जाने के संबंध में विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए। इस विरोध प्रदर्शन को बाधित कर के पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया।
14 सितंबर 2021 को IGDTUW के सफाई कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया था और वे तब से इसका मुखर विरोध कर रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा सफाई कर्मियों को नौकरी के आश्वासन के बावजूद विश्वद्यालय द्वारा नया टेंडर दिया जा चुका है और नए कर्मचारियों की नियुक्ति के साथ ही पुराने कर्मचारियों को कैंपस में प्रवेश करने से बाधित कर दिया गया है।
यह ज्ञात हो कि 13 अक्टूबर 2021 को उप मुख्यमंत्री के कार्यालय से IGDTUW के कुलपति को नोटिस भेजा गया था। इस नोटिस में नई एजेंसी, विशाल इंटरनेशनल, से संबंधित कर्मचारियों की शिकायतों पर जांच करने और रिपोर्ट देने की बात कही गई थी। अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
इनमें से कई कर्मचारी पिछले 15-16 वर्षों से यह नौकरी कर रहे हैं और अलग अलग टेंडर आने के बावजूद काम में लगे हुए हैं। महामारी के दौरान इन्हीं कर्मचारियों ने मजबूरी में बिना सुरक्षा उपकरणों और यातायात की सुविधाओं के भी यह काम किया। एक महिला सफाई कर्मचारी ने इस दौरान अपनी जान भी गंवा दी परंतु इसके लिए विश्वद्यालय ने कोई मुआवज़ा नहीं प्रदान किया। बदतर हालातों के बावजूद इन कर्मचारियों ने अपना काम जारी रखा पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी को काम से निकालने के वक्त इसके बारे में फिक्र नहीं की।
दिल्ली सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन ने सफाई कर्मचारियों के जीविका के अधिकार के लिए उठे विरोध प्रदर्शन को दबाने का हर संभव प्रयास किया है। आज कर्मचारियों और यूनियन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने से दिल्ली सरकार और मनीष सिसोदिया जैसे बड़े नेताओं का मजदूर विरोधी चरित्र साफ दिखाई देता है। वहीं एसकेयू ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगो को नहीं माना गया तो वे इससे भी बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे।