मजदूर एकता केंद्र के बैनर तले मनाया गया मजदूर दिवस

मजदूर एकता केंद्र के बैनर तले मनाया गया मजदूर दिवस
नरवाना में लेबर चौक बनवाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने का किया ऐलान 
आज क्रांतिकारी युवा संगठन और मजदूर एकता केंद्र ने अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर नरवाना के लेबर चौक और अनाज मंडियों में पर्चा वितरण कर नुक्कड़ सभाएं की । संगठन के सदस्य कुलदीप ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मई दिवस मजदूरों के संघर्षों का त्योहार है ।आज से लगभग 139 साल पहले अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने काम के घंटे कम करवाने के लिए आंदोलन किया और इस आंदोलन में सात मजदूरों की गोली लगने से मौत हुई । पूंजीवादी सरकार ने इस आंदोलन को कुचलना चाहा, लेकिन इस गोलीबारी के बाद यह आंदोलन अमेरिका में ही नहीं पूरे विश्व में फैल गया।आंदोलन के दबाव में अमेरिका की सरकार ने मजदूरों की मांगों के आगे झुकना पड़ा और काम के घंटे जो पहले कोई निश्चित नहीं थे कानूनी रूप से 8 घंटे करने पड़े ।इस दिन को पूरे विश्व में मजदूर दिवस के रूप में मनाने का मजदूर संगठनों ने आह्वान किया ।भारत में 1 मई 1923 को मद्रास के मजदूर किसान नेता सिंगारावेलु चेतियार ने पहली बार भारत में मजदूर दिवस मनाया और इस दिन हाई कोर्ट मद्रास के सामने बहुत बड़ी संख्या में मजदूरों ने प्रदर्शन किया और इस दिन सार्वजनिक छुट्टी बनाने का ऐलान किया ।आज अधिकार मजदूरों को अपने संघर्ष की बदौलत मिले थे, मोदी सरकार धीरे धीरे उनको खत्म कर रही है ।सरकार श्रम कानूनों को बदलकर पूंजीपतियों के हक में लागू कर रही है। आज मोदी सरकार की नीतियों से मेहनतकश जनता को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन मोदी सरकार सिर्फ अपने चहेतों में और चुनावी रैलियों में व्यस्त दिखाई दे रही है और उसे जनता का दुख दर्द बिल्कुल नहीं दिख रहा । सरकार का रवैया जन आंदोलनो के प्रति बिल्कुल असंवेदनशील है ,और हर आंदोलन को सरकार तानाशाही तरीके से दबाना चाहती हैं । 
साथी दिनेश ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के सैंकड़ों मजदूर गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में यहीं सड़क पर इधर उधर भटकने को मजबूर होते हैं। एक स्थाई जगह न होने के कारण जब ये मजदूर दुकानों के आगे बैठते है तो, दुकानदार उन्हें गाली गलोच करते हुए वहां से उठा देते है। एक स्थाई जगह ने होने के कारण और काम ने मिल पाने कारण पूरा दिन उन्हे इधर उधर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ता है। संगठन के सदस्य लंबे समय से लेबर चौक की मांग कर रहे है, लेकिन प्रशासन सिर्फ झूठे आश्वासन दे रहा है। बड़े शर्म की बात है कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी का काम करने वाले मजदूरों को आज सरकार एक स्थाई जगह तक मुहैया करवाने में असफल नजर आ रही है। सरकार विज्ञापनों के माध्यम से तो दिखाने का प्रयास कर रही है कि उन्होंने मजदूरों की जिंदगी में बहुत बड़े बदलाव कर के उन्हें खुशहाल कर दिया है लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है।
तो ऐसे में मेहनतकश आबादी को अपने इतिहास को याद करने की जरूरत है, जो अधिकार संघर्ष की बदौलत मिले थे उनको दोबारा से लागू करवाने के लिए लिए देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है । क्रांतिकारी युवा संगठन और मजदूर एकता केंद्र मांग करता है कि 
1. नरवाना में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए लेबर चौक का निर्माण किया जाए
2.सभी क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी ने दी जाए ।
3.अनाज मंडियों में मजदूरों के लिए सार्वजनिक कैंटीन और विश्राम गृह प्रबंध किया जाए ।
4. काम की जगहों पर मजदूरों के लिए साफ पीने का पानी और शौचालय प्रबंध किया जाए।
5. सभी मजदूरों को काम के दौरान किसी भी दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार की जिम्मेवारी मालिक की हो ।
6. समान काम समान वेतन नियम को सख्ती से लागू किया जाए ।
7. महिला कामगारों को काम की जगह पर शिशु ग्रह की सुविधा दी जाए।
8. कठिन क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों को सभी सुरक्षा उपकरण मुहैया कराये जाए ।
इस मौके पर संगठन के साथी कुलदीप, दिनेश, विकास, सुमित,अनिल, खुशीराम, मुकेश आदि मौजूद रहे।

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