असम हत्याकांड के खिलाफ दिल्ली के जनता में आक्रोश, की गई मुआवजे एवं मुख्यमंत्री के इस्तीफा की मांग

असम से लेकर दिल्ली तक के जनता में आक्रोश। पीड़ित परिजनों को मुआवजा एवं असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के इस्तीफे की मांग की गई।



दिल्ली/असम: असम राज्य के दरांग जिले में पुलिस द्वारा जबरन लोगों को उनके घरों से बेदखल किए जाने और इस दौरान दो लोगों की हत्या करने के खिलाफ शनिवार को कई संगठनों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन में हिस्सेदारी निभाई जिसमें क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस), एआईएसए, एसएफआई, कलेक्टिव, सीपीआईएमएल एवं अन्य संगठन शामिल हुए। यह हिंसक आक्रमण "कब्जा हटाने" के बहाने से किया गया और इसमें दो लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। एक वीडियो सामने आया है जिसमें साफ साफ दिखाई देता है कि पुलिस बल के साथ आया एक फोटोग्राफर पुलिस फायरिंग से मृत स्थानीय आदमी पर कूदता हुआ दिखाई देता है। यह ज्ञात हो कि इलाके में सरकार द्वारा जबरन बेदखली किए जाने के बाद इसके खिलाफ विरोध शुरू हुआ। वीडियो में सामने आईं तस्वीरें भयावह हैं और निर्मम पुलिस हिंसा को दिखाती हैं। पुलिस केवल एक लाठी पकड़े स्थानीय आदमी पर लगातार फायरिंग करती हुई दिखाई देती है।

भारत में बेघरी का बड़ा संकट है जिसके कारण मेहनतकश जनता के एक बड़े हिस्से को खाली जमीनों पर जीवनयापन और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए बसना पड़ता है। भाजपा सरकार ने 2022 तक सबको अपना घर सुनिश्चित करने का बड़ा वादा किया था। न केवल उनके चुनावी वादे झूठे साबित हुए, बल्कि गरीबों की बस्तियों को तोड़ने से भाजपा शासन का गरीब विरोधी चरित्र साफ होता है। कॉर्पोरेटों और पूँजीपतियों के हितों को बचाने के लिए सरकार सबसे पिछड़े वर्गों की बस्तियों पर आक्रमण करती रही है। कथित तौर पर इलाके में खेती का विस्तार करने के बहाने से यह जमीनें खाली कराई जा रही हैं। यह ज्ञात हो कि यहां के स्थानीय लोग दशकों से इस इलाके में खेती कर रहे हैं। खेती-योग्य जमीन के मालिकने में भारी असमानता के कारण हाशियाई तबके इन जमीनों पर घर बनाने और खेती करने पर मजबूर होते हैं। इस असमान जमीन विभाजन को तुरंत ठीक किए जाने की बड़ी आवश्यकता है।

ज्ञात हो कि देश में और खासकर असम में सीएए और एनआरसी द्वारा सरकार ने गरीब विरोधी और सांप्रदायिक माहौल बनाया। इंसानों को "गैरकानूनी" घोषित करके उनके उत्पीड़न को सही ठहराया जा रहा है। इस मामले से एक बार फिर मौजूदा सरकार का सांप्रदायिक चेहरा सामने आता है। सरकार बेघरी की समस्या का निवारण करने की जगह सबसे वंचित तबकों और अल्पसंख्यकों पर जुल्म कर रही है। शर्मनाक है कि भाजपा के कई नेता स्थानीय लोगों को "संदेहास्पद नागरिक" बता कर इस निर्मम वाकिए को सही ठहराने का प्रयास कर रहे हैं।

केवाईएस से सर्वेश ने कहा कि लोगों को उनके घरों से जबरन निकाले जाने और पुलिस हिंसा के खिलाफ असम के लोगों के संघर्ष के साथ हम खड़े है। क्रांतिकारी युवा संगठन इस नृशंस कृत्य के लिए जिम्मेदार असम मुख्यमंत्री, हिमन्त बिस्वा सरमा के इस्तीफे की मांग करता है। साथ ही, यह भी मांग करता है कि हत्याओं के लिए जिम्मेदार सभी पुलिस अधिकारियों और फोटोग्राफर को तुरंत निलंबित किया जाए और कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। इसके अतिरिक्त, लोगों की उनके घरों से बेदखली को तुरंत रोके जाने और बस्तियों को नियमित कर के वहां नागरिक सुविधाएं सुनिश्चित किए जाने की भी मांग करता है और मृतकों के परिवार को उपयुक्त मुआवजे की मांग करता है।

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