नरवाना में मनरेगा मजदूरों ने लघु सचिवालय का किया घेराव


जींद : मनरेगा मजदूर एकता केंद्र (एम.एम.ई.के.) के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और मनरेगा मजदूरों के साथ मिलकर नरवाना में रैली और लघु सचिवालय के घेराव का आयोजन किया। ज्ञात हो कि इस कार्यक्रम का आयोजन मनरेगा मजदूरों की विभिन्न गंभीर समस्याओं को लेकर किया गया था। रैली की शुरुआत नरवाना मेला मंडी में जनसभा के साथ हुई।

एम.एम.ई.के की तरफ से विक्रम ने जनसभा को संबोधित किया। उन्होने बताया कि मनरेगा योजना की शुरुआत ग्रामीण मजदूरों को काम सुनिश्चित तौर पर देने के लिए की गयी थी। इस अधिनियम के तहत देश के गावों में रहने वाले मजदूर परिवारों को 100 दिन का काम मिलने की गारंटी का प्रावधान किया गया था। लेकिन पिछले सालों में इस योजना के तहत काम मिलने में बहुत कमी आई है। देश के ज़्यादातर इलाकों में हाल यह है कि योजना के तहत केवल गिने-चुने लोगों को ही कुछ ही दिन काम मिल पाता है और इन लोगों को भी पूरी मजदूरी नहीं मिलती है।


जनसभा के बाद सैंकड़ों मजदूरों ने रैली निकालकर लघु सचिवालय का घेराव किया और मनरेगा मजदूरों की मांगों से संबन्धित एक संयुक्त ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। साथ ही, एम.एम.ई.के ने भी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में यह बताया गया कि किस प्रकार कोरोना और लॉकडाउन के बाद देश के सभी मेहनतकश लोगों की हालत बद-से-बदतर हुई है।

काम न मिलने से लोगों के लिए जीवन जीने की भी दिक्कत आ रही है। साथ ही, मनरेगा योजना के तहत लोगों को मिलने वाला काम भी नहीं मिल रहा है। इससे मजदूर परिवारों के लिए जीवन और जीविका की भारी समस्या पैदा हो गयी है। साथ ही, मजदूरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम से मुलाक़ात कर उनको मनरेगा मजदूरों की गंभीर समस्याओं से अवगत कराया। मनरेगा मजदूरों ने जो मुख्य मांगें उठाई हैं उनमें सभी मनरेगा कामगारों को 300 दिन का काम दिये जाने, मनरेगा के तहत मिलने वाले काम का वेतन शहरी मजदूरों के न्यूनतम वेतन के बराबर किये जाने, काम न मिलने की स्थिति में प्रति माह 10,000 रुपए बेरोजगारी भत्ता दिये जाने, जिन मनरेगा मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिली है, उनको तत्काल रूप से उनकी मजदूरी सुनिश्चित किए जाने, इत्यादि मांगें शामिल थीं। 

साथ ही, यह भी मांग उठाई गयी कि सभी मजदूरों के अनिवार्य रूप से जॉब कार्ड बनवाये जाएँ और उनकी हाज़िरी जॉब कार्ड में ही लगवाई जाए, और मजदूरों का निजी और सरकारी ऋण माफ किया जाए।
मनरेगा मजदूरों ने जनता-विरोधी 3 कृषि क़ानूनों और 4 श्रम संहिताओं को रद्द किये जाने की भी मांग की और यह कहा कि श्रम क़ानूनों में सभी मजदूरों को समान रूप से अधिकार सुनिश्चित की जाए।

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